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रिश्वत लेने में नपे असिस्टेंट कमिश्नर, कोर्ट ने सुनाई पांच साल की सजा

जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव खुल्बे की कोर्ट ने खटीमा के असिस्टेंट कमिश्नर को पांच साल की सजा सुनाई है।

By Edited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 12:54 PM (IST)
रिश्वत लेने में नपे असिस्टेंट कमिश्नर, कोर्ट ने सुनाई पांच साल की सजा
रिश्वत लेने में नपे असिस्टेंट कमिश्नर, कोर्ट ने सुनाई पांच साल की सजा

नैनीताल, जेएनएन : जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राजीव खुल्बे की कोर्ट ने खटीमा के असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर शेर सिंह रावत को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में दोषी करार देते हुए पांच साल सश्रम कारावास व दस हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट के फैसले के बाद असिस्टेंट कमिश्नर को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया। दरअसल 11 जून 2012 को एसपी विजिलेंस हल्द्वानी को सितारगंज के वार्ड नंबर दो निवासी इकशाद अहमद द्वारा असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर के खिलाफ शिकायती पत्र दिया, जिसमें कहा था कि असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा उसकी सितारगंज में शीतल पेय कंपनी की न्यू हिंद एजेंसी के व्यापार कर संबंधित मामले के निस्तारण के एवज में 45 हजार रिश्वत की मांग की गई है। शिकायत प्रार्थना पत्र की जांच के उपरांत 14 जून को विजिलेंस टीम द्वारा असिस्टेंट कमिश्नर शेर सिंह रावत पुत्र दरबान सिंह रावत मूल निवासी ग्राम व पोस्ट भराड़ी, तहसील कपकोट, जिला बागेश्वर व हाल निवासी दो नहरिया, फ्रेंड्स कॉलोनी भोटिया पड़ाव हल्द्वानी को 45 हजार रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया।

शिकायतकर्ता का कहना था कि वह रिश्वत नहीं देना चाहता था, मगर भ्रष्ट को पकड़वाना चाहता था। मामले के परीक्षण के बाद आरोपित के खिलाफ एंटी करप्शन कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई। संयुक्त निदेशक विधि डीएस जंगपांगी की ओर से आरोप साबित करने के लिए छह गवाह पेश किए, जिनके द्वारा अभियोजन का समर्थन किया गया। जबकि बचाव पक्ष द्वारा दो गवाह पेश किए गए। शुक्रवार को कोर्ट ने अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद दोषी करार असिस्टेंट कमिश्नर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धारा सात के अंतर्गत पांच साल का सश्रम कारावास व पांच हजार अर्थदंड व धारा-13 एक डी सपठित 13-दो के अंतर्गत पांच साल सश्रम कारावास व पांच हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा नहीं करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। कोर्ट के फैसले के बाद उसे हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।

केसों के निपटारे को की थी एक लाख की डिमांड
दरअसल शिकायतकर्ता की फर्म को असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा 2008, 2010 व 2011 में नोटिस दिए गए। सभी मामलों के निस्तारण के एवज में प्रति केस सालाना 25-25 हजार के हिसाब से एक लाख की डिमांड की। जब यह रकम अदा नहीं की तो असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा 2008-09 के मामले में एकतरफा फैसला देते हुए फर्म पर छह लाख 25 हजार टैक्स लगा दिया। इस पर शिकायतकर्ता द्वारा अपील की गई तो असिस्टेंट कमिश्नर ने एक लाख देने पर सारे केस निपटाने की बात कही। साथ ही कहा कि यदि रकम का भुगतान नहीं किया तो टैक्स लगाता रहूंगा। इसके बाद शिकायकर्ता ने असिस्टेंट कमिश्नर की खुशामद की और 45 हजार देकर काम करवाया। शिकायतकर्ता का कहना था कि भ्रष्ट को पकड़वाने के लिए रिश्वत दी गई। विजिलेंस के निरीक्षक राजन लाल आर्य ने मामले की जांच की तो असिस्टेंट कमिश्नर के घुसखोरी की प्रवृत्ति का होना साबित हुआ, जिसके बाद ही ट्रैप टीम का गठन किया गया।

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